बुधवार, 23 मई 2012

देहात की नारी - ४- लक्ष्मी धीवर ....

देहात की नारी - ४- लक्ष्मी धीवर ....
आइये आज परिचय कराते हैं . आपको कुरूद (मंदिर हसौद) की लक्ष्मी धीवर से .---::
नाम - लक्ष्मी धीवर
उम्र - ४७ साल .
पति का नाम - पतालू राम धीवर ..
शिक्षा - छठवीं पास .
निवासी - कुरूद (मंदिर हसौद)


१८ साल में शादी .. फिर एक आम जिन्दगी को जीने वाली लक्ष्मी , औरो से खास कैसे बन गई  ! आइये जानते है उन पहलुओ को ... एक अच्छी सोच , कि उसे कुछ कर दिखाना है , कब , कैसे , उसे नही पता ,      पर कहीं एक जूनून था लक्ष्मी में !  वो छोटा मोटा जनसेवा का काम करने लगी !  धीरे धीरे ग्रामवासियों में उसकी पहिचान बनी ! मात्र ३ एकड़ खेत ही था उसके जीविकोपार्जन का माध्यम ! संतुष्ट थी वो अपने जीवन से ! उसे पैसे के लिए नही बल्कि लोगो के लिए कुछ करने की धुन सवार थी  ! उसने अपने जैसी कुछ गरीब महिलाओ को एकत्र कर के एक जाग्रति समूह बनाया !  ५० रुपये प्रति माह  जमा कर के उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाया ...कुछ अंशपूंजी इकठा होने पर उस ने समूह के साथ मिल कर पहले मशरूम उत्पादन का काम शुरू किया ! ये काम अधिक न जमा तो अगरबत्ती निर्माण का काम आरम्भ किया , उसके बाद आचार बनाने का काम शुरू किया ! वो कहती है कि काम सभी अच्छा चल रहा था , पर उन्हें परेशानी थी  मार्केटिंग की ! जो प्रायः हर महिला को आती है ! काम पढ़ा लिखा होने से उसे विपणन में दिक्कत आने लगी ! इस लिए उस ने इस काम को बंद कर के गाँव में ही जमीन लेकर ईंटा भटठा का ठेका अपने समूह के माध्यम से लेना शुरू किया ! ये काम चलने लगा ! और वो अपनी साथियों की मदद कर के खुश रहने लगी !
बार - बार फिर भी उस के मन में एक कसक उठती , कि वो और कुछ अच्छा करे ! उन से बात करने पर हमे ज्ञात हुआ कि लगभग ८ साल पहले उस के नेक काम को देख कर गाँव वाले उसे सरपंच बनाने के लिए खड़ा भी किया था ! पर चुनाव के दांवपेंच से अनभिज्ञ लक्ष्मी को लगभग ५० वोटो से शिकस्त मिली ! बाद के चुनाव में वो उप सरपंच चुनी गई ! 

              कुछ ऐसे बिंदु जो लक्ष्मी को खास बनाते है ...  जनसेवा की प्रमुख बिंदु  -: ग्राम कुरूद में ३ आंगनबाड़ी केंद्र का संचालन कर के पोषक आहार का वितरण  तो वो करती ही है , इसके अलावा ग्राम के बोरिंग की सफाई , तालाब की सफाई , का काम भी अपनी सहेलियों के साथ मिल कर ख़ुशी ख़ुशी करती है ! उस की २ प्यारी सखी है ,  आशा मिश्रा . और माधुरी दीवान , जिनके सहयोग से ग्राम कुरूद में स्वच्छ वातावरण निर्मित करने में उसे आसानी होती है ! वो चहक कर हमे बताती है कि गाँव वालो के सहयोग से पुरे गाँव कुरूद की महिलाएं सुनता सलाह कर के कैसे गाँव में "नशामुक्ति अभियान " चलाती है ! वो कहती है की आधी रात को भी कहीं गाँव में दारू होने की सुचना मिलती थी तो पूरी महिलाओ के साथ उस जगह में धावा बोल कर वो लोग उस जगह से शराब जप्त कर लेते थे, और थाना में जमा कर देते थे ! फिर पुलिस को सुचना देकर उन के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करते है !  ये छापा मार कार्यवाही कई दिनों तक चलती रही ! इस में जरुरत पड़ने पर वो सीधे मंत्री ननकीराम कँवर को भी फ़ोन लगा कर मदद मांग लेती थी ! अधिकारी दौड़े चले आते , और उनका नशामुक्ति अभियान सफल होते गया ! गाँव में इनके दर से अवैध शराब रखना बंद सा हो गया ! गाँव से दूर मोनेट के पास अब इस भंडार में रखा जाता है, शराब ! वहां भी इनकी टीम पहुंची पर ये गाँव से बाहर है , और बाहर ही रहेगा , समझकर इन्हें वापस भेज दिया गया !

 गाँव में निर्धन कन्या का विवाह भी कराया गया है , जिसमे पिता की साया से वंचित भारती यादव , या गरीब बाप की बेटी भगवती धीवर , अहिल्या साहू का नाम उनकी जुबान पर है ! दत्तक पुत्री योजना में हर साल १० बच्चो को  कापी- किताब . जूता मोजा , बस्ता आदि की सहायता दिलवाने में मदद करती है ! इस साल उनके प्रयास से  अनाथ बालिकाएं  कंचन यादव . कुसुम , भगवती पटेल , ज्योति सोनी  जैसी कई बालिका इस सुविधा का लाभ लेने में सफल हो पाई !  वो बताती है कि उन्हें आर्थिक मदद से मोनेट फ़ौंडेशन से   मिलता है ! पर ये सभी काम एक माध्यम या पुल के रूप  वो निःशुल्क और निःस्वार्थ रूप से अपने समूह और सखियों के साथ करती है ! लाभ लेने वाले जरुरत मंदों को ढूंढ़ कर मदद पहुँचाने के बदले में उन्हें क्या मिलता है ? हमारे इस प्रश्न के जवाब में वो हंस कर कहती है कि ढेर सारा प्यार और सम्मान  के साथ मिलती है उसे आत्मिक संतोष  !
            गाँव में उनकी सखियाँ और गाँव वाले बताते है कि किसी भी घर में कोई भी बीमार या एक्सीडेंट हो जाये तो बीमार के साथ रायपुर जाना (कई बार अपने खर्चे पर भी ), किसी बड़े हास्पिटल में एडमिट करने से लेकर , अगर कोई साथ न हो तो हास्पिटल में उसके साथ रहना .. लक्ष्मी की एक ऐसी खास आदत  है , जिसके कारण सब उसे प्यार और सम्मान के साथ देखते है ! इस निःस्वार्थ काम के लिए उसे एक बार आरंग में महिला बाल विभाग से उत्कृष्ट  काम के लिए पुरुस्कृत भी किया गया है !
          हमे गर्व है कि मिडिया की चमक -धमक से परे रह कर भी लक्ष्मी  समाज सेवा के कामो में अपनी निरंतरता बनाये रखा है ...! लक्ष्मी  धीवर को हमारा और हमारे ब्लाग जगत के सभी साथियों की ओर से प्रणाम ! सलाम ! नमस्कार !........

बुधवार, 2 मई 2012

देहात की नारी -3- आज मिलाते है हम आपको,. लवन की शाहिदा बेगम से .........

देहात की नारी -3- 
आज  मिलाते   है,   हम आपको,.  लवन की शाहिदा बेगम से .........
हल्का गेहुँवा रंग .. मासूम सी सूरत .. पसीने पोंछती हुई हमारे कमरे मे दाखिल होती उस महिला  के चेहरे में एक अनोखी चमक थी .. मेहनत की चमक ..सफलता की चमक .... उस महिला का आत्मविश्वास देखकर हमे काफी ख़ुशी हुई ...  

            पानी पीकर वो आराम से हमारे सामने रखी कुर्सी पर बैठ गई ...जब हम ने उसे अपने पास आने कारण पूछा तो उस ने कहा की  वो कुछ ऐसा करना चाहती है जिस से उसे  संतुष्टि मिल सके .. हम ने बातो बातो में उस से जो जानने का प्रयास किया वो इस प्रकार है ...
नाम - साहिदा बेगम ...
उम्र  - 33 साल .
मायका और ससुराल दोनों - लवन ..
शौक - कुछ हटके करना , जिस से महिलाओ में आत्मविश्वास बढ़ा सके ...
अल्पक्षर साहिदा ने बताया की , वो 2009 में अपने जैसी गरीब 10 महिलाओ को लेकर एक समूह बनाई और 100 रूपये मासिक जमा करके बैंक में 50000 रूपये ऋण के लिए आवेदन दिया , उस पैसे से उसनेदोना पत्तल बनाने वाली एक मशीन ख़रीदा , कागज के दोना पत्तल बना कर आस पास के गांवो कोलिहा , बघमुडा ,तुष्मा , शिवरीनारायण  में जाकर वो खुद बेचती थी , सर्विस अछ्ही होने के कारन अब गांव वाले उस के पास आर्डर ले के आते है और खुद मॉल भी आकर ले जाते है ! इस काम में शाहिदा का साथ पुष्पा तिवारी , पारसमणि पटवा ,शकुन साहू आदि कई महिलाएं भी मदद करती है  ! जात पात के बंधनो से परे ... बधाई योग्य ....
   एक बात जो हमे शाहिदा में बहुत पसंद आई वो ये है की , वो इस नेक काम के अलावा अपने समूह के द्वारा नगर निगम के सुलभ शौचालय का सफाई ठेका मई 2011 से ले रही है , और 3 स्वीपर रख कर अपना काम बखूबी निभा रही है ! इस काम को एक चुनौती के रूप में स्वीकारा था उसने और आज 5000 रुपये का मासिक लाभ इस काम से अपने समूह को दिला रही है ... आगे उसका इरादा और बुलंद है ...किसी  तरह अपने और अपने जैसे लोगो को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर कर के वो अपने लवन को छत्तीसगढ़ के नक्शे में एक नया पहिचान देना चाहती है ....
 
हम और हमारे जैसे लोग सदा उनकी मदद को उनके साथ है , यही विश्वास वो लेकर संस्कारधानी रायपुर से विदा लेती है , साथ ही एक वादा भी , की हम इसी माह उसके काम को देखने एक बार लवन अवश्य आये ...
बधाई हो , शाहिदा ... तुमसे 3 बाते हमने सीखी ...
 1. इरादे बुलंद हो तो कोई काम छोटा नही होता ..
 2. जात पात के बंधन नेक काम में मायने नही रखते ..
3. सफलता पाने के बाद भी रुकना नही , मंजिले अभी और भी है , बस रास्ते तलाशने होते है ....
सलाम ...........शाहिदा बेगम ..........