आइये आज हम आपको मिलाते है .. हसदा की कमला बघेल से .....
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देहात की नारी -6- हसदा की कमला बघेल ...
संस्कारधानी रायपुर से 40 किलोमीटर दूर नवापारा से नदी पर कर के आगे चलते रहे तो सुन्दर हरे भरे से पेड़ो के बिच से सुगम रास्ता जाता है हसदा नंबर 1 को ..खिसोरा हसदा के नाम से जाना जाता है ये गाँव ..बड़े करेली से कुछ ही दुरी पर स्थित है हसदा ... यहाँ का वातावरण काफी मोहक सा है .. विकास गाँव में स्पष्ट दिखाई देता है ..इसी गाँव में अनुसूचित जाति की एक अलग सी बस्ती है .. हम जब उनकी बस्ती में पहुंचे थे कुछ साल पहले तो वहाँ की महिलाएं काफी पिछड़ी हुई थी . हम ने उन की एक बैठक बुलाई , और जागरूकता के लिए स्वयं सहायता समूह के बारे में मार्ग दर्शन प्रदान किया .. उन्हें समझाया की किसी और के खेत में मजदूरी करने के बजाये वो एक समूह बना ले और बैंक से वित्तीय सहायता लेकर कुछ एकड़ खेत में स्वयं की किसानी करे , जिस से उन्हें फायदा होगा ... और आत्मविश्वास भी बढेगा ...वो महिलाएं इतनी संकोची थी कि बैठक में आने से संकोच ..कुछ जवाब देने से संकोच ... इतनी पिछड़ी कि ..कुछ भी नया करने से कतरा रही थी ..काफी समझाने के बाद उन लोगो ने के समूह बनाया , सभी महिलाये अनुसूचित जाति की ही थी ... समूह का नाम रखा "जय सतनाम स्वयं सहायता बहिनी समूह "
इस समूह की अध्यक्ष श्रीमती कमला बघेल .. सचिव धान बाई गायकवाड ...
एक साल बाद जब हम गये तो हमे बहुत अच्छा लगा की कमला बघेल गाँव के पंचायत चुनाव में जीत कर पञ्च बन गई है , इस का श्रेय वो अपने समूह योजना को देती है ...हम जब मार्च में उन से मिलने हसदा गाँव गये थे वो हर बात का जवाब काफी आत्मविश्वास से देना सी ख गई थी ..मंच पर आकर अपने समूह के बारे में काफी कुछ माईक पर बताया उसने ...वो अब कुछ करना चाहती थी हम ने गाँव की बैठक में तुरंत 50000 रूपये का ऋण स्वीकृत कर उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया , उन्होंने उस पैसे से कुछ छोटा मोटा काम शुरू किया .हमे अच्छा लगा .. इतने दिनों बाद ही सही उन में तबदीली तो दिखी ..और ये परिवर्तन भी सकारात्मक ..
हम ने उन्हें काफी कुछ बाहर के और महिलाओ की सफलता की कहानी भी बताई ... उनका मोहल्ला अलग था , उनकी बैठकें अलग होती थी .. पर हम ने सभी मोहल्ले के समूह की एक साथ एक जगह में ही एक साथ बैठक लिया .. उन्हें ये समानता का भाव बहुत अच्छा लगा ..वो बार बार हमे शुक्रिया अदा करती रही ,, उनका स्नेह , उनका सम्मान हमे कुछ और करने की प्रेरणा दे रहा था ...
आज अचानक सुबह सुबह हमारे आफिस पहुँचते ही जैसे ही हम महासमुंद के लिए रवाना होने वाले थे ,, हमारे कमरे में दाखिल हुई .. कमला बघेल और धान बाई गायकवाड उनके साथ उनके समाज के दो और वरिष्ठ सदस्य भी थे ...उन्होंने हमे अभिवादन किया ,, हाथ मिलाया और बताया कि , उन्हें अब गाँव के स्कुल में हर 15 अगस्त और 26 जनवरी को कार्यक्रम में सम्मान पूर्वक बुलाया जाता है ..और वो समूह की तरफ से बच्चो को पुरुस्कार भी प्रदान करती है .. गाँव में उनकी इज्जत भी बढ़ गई है ..शासन की ओर से उन्हें 75 डिसमिल जमीन भी महिला भवन बनाने की सहायता भी मिली है जिसे कुछ आथिक मदद से एक भवन भी उन्होंने बना लिया है ...इस साल गाँव के साहू समाज के 2 बच्चो का एडमिशन भी समूह के सिफारिश से संभव हो पाया ..समाज और गाँव में किसी की मदद को ये महिला हमेशा आगे आती है ...अपने महिला भवन में इस साल वो बोरिंग भी लगाने को प्रयास रत है ताकि आसपास के लोगो को पेयजल की उपलब्धता हो सके ...भवन में बढ़ लगाकर वृक्षारोपण की योजना भी वो बताती है ... उस ने बताया कि बैंक ऋण की शतप्रतिशत अदायगी उस के समूह ने कर दिया है .. अब वो 1लाख रूपये का ऋण लेकर 15 एकड़ भूमि रेग में लेकर कृषि करना चाह रही है ...
हम ने जो सपना देखा था वो आज हमे पूरा होता दिखा ... एक छोटे से गाँव की इस महिला का आत्मविश्वास ..इतना कि हम से मिलने वो रायपुर तक आई .. अपने आप में तबदीली की कहानी वो खुद ही बयां कर रही है ..
अब वो किसी की सहायता की मोहताज नही है ...सामाजिक सम्मान ...अपनापन ,, सब कुछ तो उसे मिल चूका है ..फिर भी प्रगति के रस्ते में उस के कदम रुके नही है ...वो बढ़ना चाहती है .. कदम कदम पर उस का आत्मविश्वास .... हमे सुखद आश्चर्य हुआ कि कभी स्कुल का मुंह नही देखने वाली ये अनपढ़ जो साक्षरता मिशन में साक्षर हो गई है , अपना नाम लिखना सीख गई है ... आज अपने गाँव में एक सम्मान जनक स्थिति में जीवन यापन कर रही है .. और जरूरत मंद लोगो की मदद भी करने में सक्षम हो गई है ...
यही परिवर्तन तो देखना चाहते थे हम ....
जय हो छत्तीसगढ़ की ऐसी नारियों का ... आज कमला बघेल को सलाम करने को जी चाह रहा है .. उस के साथ हर कदम में साथ देने वाली धान बाई गायकवाड को भी ....
नारी जाग गई .....
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देहात की नारी -6- हसदा की कमला बघेल ...
संस्कारधानी रायपुर से 40 किलोमीटर दूर नवापारा से नदी पर कर के आगे चलते रहे तो सुन्दर हरे भरे से पेड़ो के बिच से सुगम रास्ता जाता है हसदा नंबर 1 को ..खिसोरा हसदा के नाम से जाना जाता है ये गाँव ..बड़े करेली से कुछ ही दुरी पर स्थित है हसदा ... यहाँ का वातावरण काफी मोहक सा है .. विकास गाँव में स्पष्ट दिखाई देता है ..इसी गाँव में अनुसूचित जाति की एक अलग सी बस्ती है .. हम जब उनकी बस्ती में पहुंचे थे कुछ साल पहले तो वहाँ की महिलाएं काफी पिछड़ी हुई थी . हम ने उन की एक बैठक बुलाई , और जागरूकता के लिए स्वयं सहायता समूह के बारे में मार्ग दर्शन प्रदान किया .. उन्हें समझाया की किसी और के खेत में मजदूरी करने के बजाये वो एक समूह बना ले और बैंक से वित्तीय सहायता लेकर कुछ एकड़ खेत में स्वयं की किसानी करे , जिस से उन्हें फायदा होगा ... और आत्मविश्वास भी बढेगा ...वो महिलाएं इतनी संकोची थी कि बैठक में आने से संकोच ..कुछ जवाब देने से संकोच ... इतनी पिछड़ी कि ..कुछ भी नया करने से कतरा रही थी ..काफी समझाने के बाद उन लोगो ने के समूह बनाया , सभी महिलाये अनुसूचित जाति की ही थी ... समूह का नाम रखा "जय सतनाम स्वयं सहायता बहिनी समूह "
इस समूह की अध्यक्ष श्रीमती कमला बघेल .. सचिव धान बाई गायकवाड ...
हम ने उन्हें काफी कुछ बाहर के और महिलाओ की सफलता की कहानी भी बताई ... उनका मोहल्ला अलग था , उनकी बैठकें अलग होती थी .. पर हम ने सभी मोहल्ले के समूह की एक साथ एक जगह में ही एक साथ बैठक लिया .. उन्हें ये समानता का भाव बहुत अच्छा लगा ..वो बार बार हमे शुक्रिया अदा करती रही ,, उनका स्नेह , उनका सम्मान हमे कुछ और करने की प्रेरणा दे रहा था ...
आज अचानक सुबह सुबह हमारे आफिस पहुँचते ही जैसे ही हम महासमुंद के लिए रवाना होने वाले थे ,, हमारे कमरे में दाखिल हुई .. कमला बघेल और धान बाई गायकवाड उनके साथ उनके समाज के दो और वरिष्ठ सदस्य भी थे ...उन्होंने हमे अभिवादन किया ,, हाथ मिलाया और बताया कि , उन्हें अब गाँव के स्कुल में हर 15 अगस्त और 26 जनवरी को कार्यक्रम में सम्मान पूर्वक बुलाया जाता है ..और वो समूह की तरफ से बच्चो को पुरुस्कार भी प्रदान करती है .. गाँव में उनकी इज्जत भी बढ़ गई है ..शासन की ओर से उन्हें 75 डिसमिल जमीन भी महिला भवन बनाने की सहायता भी मिली है जिसे कुछ आथिक मदद से एक भवन भी उन्होंने बना लिया है ...इस साल गाँव के साहू समाज के 2 बच्चो का एडमिशन भी समूह के सिफारिश से संभव हो पाया ..समाज और गाँव में किसी की मदद को ये महिला हमेशा आगे आती है ...अपने महिला भवन में इस साल वो बोरिंग भी लगाने को प्रयास रत है ताकि आसपास के लोगो को पेयजल की उपलब्धता हो सके ...भवन में बढ़ लगाकर वृक्षारोपण की योजना भी वो बताती है ... उस ने बताया कि बैंक ऋण की शतप्रतिशत अदायगी उस के समूह ने कर दिया है .. अब वो 1लाख रूपये का ऋण लेकर 15 एकड़ भूमि रेग में लेकर कृषि करना चाह रही है ...
हम ने जो सपना देखा था वो आज हमे पूरा होता दिखा ... एक छोटे से गाँव की इस महिला का आत्मविश्वास ..इतना कि हम से मिलने वो रायपुर तक आई .. अपने आप में तबदीली की कहानी वो खुद ही बयां कर रही है ..
अब वो किसी की सहायता की मोहताज नही है ...सामाजिक सम्मान ...अपनापन ,, सब कुछ तो उसे मिल चूका है ..फिर भी प्रगति के रस्ते में उस के कदम रुके नही है ...वो बढ़ना चाहती है .. कदम कदम पर उस का आत्मविश्वास .... हमे सुखद आश्चर्य हुआ कि कभी स्कुल का मुंह नही देखने वाली ये अनपढ़ जो साक्षरता मिशन में साक्षर हो गई है , अपना नाम लिखना सीख गई है ... आज अपने गाँव में एक सम्मान जनक स्थिति में जीवन यापन कर रही है .. और जरूरत मंद लोगो की मदद भी करने में सक्षम हो गई है ...
यही परिवर्तन तो देखना चाहते थे हम ....
जय हो छत्तीसगढ़ की ऐसी नारियों का ... आज कमला बघेल को सलाम करने को जी चाह रहा है .. उस के साथ हर कदम में साथ देने वाली धान बाई गायकवाड को भी ....
नारी जाग गई .....
कमला बघेल एवं धान बाई गायकवाड़ के जज्बे को सलाम। नारी स्वालम्बन के लिए आर्थिक स्वतंत्रता अत्यावश्यक है। नहीं तो समाज के आदिम चक्रव्यूह में घिर कर रह जाएगी। हमेशा की तरह समाज के ठेकेदार ही उसका भविष्य निर्धारित करेगें।
जवाब देंहटाएंबहुत ही उम्दा पोस्ट - आभार आपका
lalit ji ,, shukriya aapka .. hm to blog likhna bhul hi gye hai .. bahut dino bad blog ke panne palte hai ,, so ...vilamb hua ..thanks
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंIs extremely persistent efforts .. Best wishes ..
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