आरंग , भानसोज की पुष्पा साहू .......... हम किसी काम से भानसोज गए थे . वहां भीड़ में भी एक अलग सा चेहरा हमे नजर आया . सावली सी सूरत और लम्बा छरहरा बदन ........आवाज में तेज , आँखों में चमक ......... नाम पूछने पर पता लगा , ये पुष्पा साहू है ..... पुष्पा की कहानी उसी की जुबानी ...........
मेरा नाम पुष्पा है. मेरा जन्म १ अगस्त १९६४ को ग्राम देवर तिल्दा में हुआ था .पिता सेवाराम साहू ,माँ फूलमत साहू , मेरा परिवार आम गाँव के परिवार जैसा ही था . सन १९६९ में प्रायमरी में मुझे स्कुल में भर्ती कराया गया ..तब से स्कुल के खेल कूद में भाग लिया और हमेशा प्रथम आती रही , पुरुस्कार मिलता तो मेरा उत्साह दुगुना हो जाता ...पांचवी प्रथम श्रेणी में पास किया . कनकी में से आठंवी तक की पढाई पूरी की ' उस समय सायकिल से स्कुल जाती थी ! गाँव और परिवार के लिए इतनी पढाई काफी थी , इसलिए मेरी शादी जनकराम साहू से २८ जून १९८१ ने कर दी गई ! एक लड़की और दो लड़का है . पति साउंड सर्विस का मामूली सा बिजनेस और खेती किसानी करते थे !
मेरा नाम पुष्पा है. मेरा जन्म १ अगस्त १९६४ को ग्राम देवर तिल्दा में हुआ था .पिता सेवाराम साहू ,माँ फूलमत साहू , मेरा परिवार आम गाँव के परिवार जैसा ही था . सन १९६९ में प्रायमरी में मुझे स्कुल में भर्ती कराया गया ..तब से स्कुल के खेल कूद में भाग लिया और हमेशा प्रथम आती रही , पुरुस्कार मिलता तो मेरा उत्साह दुगुना हो जाता ...पांचवी प्रथम श्रेणी में पास किया . कनकी में से आठंवी तक की पढाई पूरी की ' उस समय सायकिल से स्कुल जाती थी ! गाँव और परिवार के लिए इतनी पढाई काफी थी , इसलिए मेरी शादी जनकराम साहू से २८ जून १९८१ ने कर दी गई ! एक लड़की और दो लड़का है . पति साउंड सर्विस का मामूली सा बिजनेस और खेती किसानी करते थे !
आर्थिक तंगी के चलते बच्चो को अच्छी शिक्षा देना मुश्किल लग रहा था !गाँव के स्कुल में चपरासी के पद के लिए मैंने भी फार्म भरा .पर ससुराल वाले और मेरे पति ने मना कर दिया . मै भी मन मसोस कर रह गई ! पर मन में कही न कही ये इच्छा थी कि कुछ ऐसा जरुर करू जिस से मेरी स्वयं की निजी पहिचान बन सके ! खेती किसानी में पति का सहयोग करने के अलावा मै कुछ ऐसा करना चाहती थी जिस से मुझे मेरे नाम से पहचान मिल सके ....
मैंने सुना महिलाओ के लिए स्वयं सहायता समूह की योजना बैंक के द्वारा चलाई जा रही है .. सहकारी बैंक के कुछ अधिकारियो से मै जाकर मिली , उनसे इस योजना की जानकारी ली . ये सन २००० की बात है , मैंने अपने घर में ही भान्सोज की १५ महिला को इकट्ठा किया , उन्हें समूह योजना की जानकारी दी . पहले तो महिलाओ ने रूचि नही ली. पर बैंक अधिकारियो और मेरे समझाने पर वो सब समूह बनाने को राजी हो गई !स्वयं सहायता समूह ने मुझे एक नया मंच दिया . अध्यक्ष के रूप में बैंक से लोन लेकर अपने ही घर में एक मसाला मशीन लगाया , और समूह के नाम के अनुरूप उन्नति की ओर हम लोग अग्रसर होने लगे ! खेती के बाद हम सब बहने मिल कर मसाला चक्की में धनिया , मिर्च . गरम मसाला . पीस कर छोटा छोटा पेकेट बना कर गाँव में बेचना शुरू किया ! अच्छी गुणवत्ता और कम कीमत के कारण हमारा मसाला लोकप्रिय होते गया . पर इस व्यवसाय में लाभ कम था और हम सदस्य बहने ज्यादा .! काफी विचार के बाद हम ने पुनः बैंक से लोन लिया और रेग पर कृषि का काम आरम्भ किया ! चूँकि समय पर लोन पटा देते थे इस लिए हर साल उस से और अधिक राशी का कर्ज लेकर हमने अधिक मात्र में भूमि रेग पर लिया और किसानी काम किया . परिणाम ये हुआ कि हमारा लाभ का प्रतिशत दिनों दिन बढ़ता गया ! महिलाओ को भी एक अच्छा अवसर मिला कि वो अपने परिवार के लिए कुछ आर्थिक मदद के काबिल बनने लगी !
गाँव में इस अच्छे काम के कारण सभी मुझे जानने लगे . सन २००५ में मै पंच बनी ! गाँव के हर कार्य में मैंने बढ़ चढ़ के हिस्सा लिया ! महिलाओ के लिए संसद निधि से एक रंगमंच का निर्माण किया गया , इसके निर्माण में भी हुई धांधली का पैसा समूह के संयुक्त प्रयास से वापस जमा कराया गया !
dehat ki nari -2-
जवाब देंहटाएंaaiye milte hai nari sashktikaran ki misal smt pushpa sahu se ............
शराब बंदी को लेकर भानसोज काफी चर्चित गाँव रहा है. पुष्पा साहू अन्यों के लिए भी प्रेरणा बन गयी हैं....... शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंthanks lalit sharma ji........pushpa sahu ke samuh ne bhi is disha me kam kiya hai aur nashabandi ko lekr railly bhi nikali hai ... ek prithak pahchan banane ke liye pushpa ne jo kam kiya hai, usa wirodh bhi gaon me bahut huwa , pr usne himmat nhi hari aur aaj safal hui hai.........
हटाएंaabhar aapka...
प्रेरक...
जवाब देंहटाएंthanks habib ji ..
हटाएंnaari sashaktikaran ka ek sashakt udaharan hain Pushpa Sahu, parichay karvaane ke liye aabhaar.
जवाब देंहटाएंaabhar aapka sanjay @mo sam kaun ji ...
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