बुधवार, 2 मई 2012

देहात की नारी -3- आज मिलाते है हम आपको,. लवन की शाहिदा बेगम से .........

देहात की नारी -3- 
आज  मिलाते   है,   हम आपको,.  लवन की शाहिदा बेगम से .........
हल्का गेहुँवा रंग .. मासूम सी सूरत .. पसीने पोंछती हुई हमारे कमरे मे दाखिल होती उस महिला  के चेहरे में एक अनोखी चमक थी .. मेहनत की चमक ..सफलता की चमक .... उस महिला का आत्मविश्वास देखकर हमे काफी ख़ुशी हुई ...  

            पानी पीकर वो आराम से हमारे सामने रखी कुर्सी पर बैठ गई ...जब हम ने उसे अपने पास आने कारण पूछा तो उस ने कहा की  वो कुछ ऐसा करना चाहती है जिस से उसे  संतुष्टि मिल सके .. हम ने बातो बातो में उस से जो जानने का प्रयास किया वो इस प्रकार है ...
नाम - साहिदा बेगम ...
उम्र  - 33 साल .
मायका और ससुराल दोनों - लवन ..
शौक - कुछ हटके करना , जिस से महिलाओ में आत्मविश्वास बढ़ा सके ...
अल्पक्षर साहिदा ने बताया की , वो 2009 में अपने जैसी गरीब 10 महिलाओ को लेकर एक समूह बनाई और 100 रूपये मासिक जमा करके बैंक में 50000 रूपये ऋण के लिए आवेदन दिया , उस पैसे से उसनेदोना पत्तल बनाने वाली एक मशीन ख़रीदा , कागज के दोना पत्तल बना कर आस पास के गांवो कोलिहा , बघमुडा ,तुष्मा , शिवरीनारायण  में जाकर वो खुद बेचती थी , सर्विस अछ्ही होने के कारन अब गांव वाले उस के पास आर्डर ले के आते है और खुद मॉल भी आकर ले जाते है ! इस काम में शाहिदा का साथ पुष्पा तिवारी , पारसमणि पटवा ,शकुन साहू आदि कई महिलाएं भी मदद करती है  ! जात पात के बंधनो से परे ... बधाई योग्य ....
   एक बात जो हमे शाहिदा में बहुत पसंद आई वो ये है की , वो इस नेक काम के अलावा अपने समूह के द्वारा नगर निगम के सुलभ शौचालय का सफाई ठेका मई 2011 से ले रही है , और 3 स्वीपर रख कर अपना काम बखूबी निभा रही है ! इस काम को एक चुनौती के रूप में स्वीकारा था उसने और आज 5000 रुपये का मासिक लाभ इस काम से अपने समूह को दिला रही है ... आगे उसका इरादा और बुलंद है ...किसी  तरह अपने और अपने जैसे लोगो को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर कर के वो अपने लवन को छत्तीसगढ़ के नक्शे में एक नया पहिचान देना चाहती है ....
 
हम और हमारे जैसे लोग सदा उनकी मदद को उनके साथ है , यही विश्वास वो लेकर संस्कारधानी रायपुर से विदा लेती है , साथ ही एक वादा भी , की हम इसी माह उसके काम को देखने एक बार लवन अवश्य आये ...
बधाई हो , शाहिदा ... तुमसे 3 बाते हमने सीखी ...
 1. इरादे बुलंद हो तो कोई काम छोटा नही होता ..
 2. जात पात के बंधन नेक काम में मायने नही रखते ..
3. सफलता पाने के बाद भी रुकना नही , मंजिले अभी और भी है , बस रास्ते तलाशने होते है ....
सलाम ...........शाहिदा बेगम ..........

12 टिप्‍पणियां:

  1. नारियों को जागृत करती अच्छी स्टोरी के लिए बधाई

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    1. aabhar aapka lalit ji ... aap jaise blogr ka sath milne pr kalam uthane ki koshish kar rhe hai ab hm bhi ....:)

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  2. सफलता पाने के बाद भी रुकना नही , मंजिले अभी और भी है , बस रास्ते तलाशने होते है ....
    सलाम ...........शाहिदा बेगम ..........

    वैसी महिलाओं से आप मिलवा रही हैं .. जिनसे समाज की अन्‍य महिलाओं को कुछ करने की प्रेरणा मिलती हैं !!

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    1. thanks sangita ji ... aap se bahut kuchh padha hai , sikha hai , so apne aas pas se talash kar rhe hai wo chehre jise hm ek misal ke rup me parichit kara sake .. aapki sahjata aur sneh ke liye punah aabhar...

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  3. बहुत अच्छी और प्रेरणादायक .....ये महिलाओं का आत्मविश्वास है जिसके बूते पर वो आगे बढ़ रही हैं

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  4. प्रेरणादायक... देहात की नारियों में आत्मविश्वास जगायेगा आपका यह प्रयास... आभार

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  5. कर्मयोग में लीन शाहिदा बेगम जैसी अल्पज्ञात स्त्रियों का परिचय करवाकर आप एक शुभ कार्य में हिस्सेदारी निभा रही हैं| शाहिदा जी और उनकी साथी महिलाओं को आगामी प्रोजेक्ट्स के लिए शुभकामनाएं|

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  6. शाहिदा बेगम जैसे प्रेरक व्यक्तित्व से परिचय कराने का आभार!

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